1971 की जंग में मचाई थी तबाही; अब बना नागौर की शान बनेगा टी-55 टैंक
नागौर: भारतीय सेना ने 1971 के युद्ध में जिस टी-55 टैंक से पाकिस्तान को करारी शिकस्त दी थी, वह टैंक अब नागौर शहर की शान बनेगा। मंगलवार को एक टी-55 टैंक यहां पहुंच गया हैं।
अब इसे क्रेन की मदद से यहां नकाश गेट के पास बने चबूतरे पर ही रखवाया जा रहा है। यह टैंक भारतीय सेना ने पूना से उपलब्ध करवाया हैं।
सेना के पराक्रम एवं गौरवशाली गाथा का है प्रतीक टी 55 टैंक
टी-55 टैंक युद्ध में हमारी सेना के अविस्मरणीय पराक्रम एवं गौरवशाली गाथा का प्रतीक हैं। रूस में निर्मित टी-55 टैंक का पाकिस्तान के खिलाफ 1971 के युद्ध में इस्तेमाल हुआ था। जिसमें पाकिस्तान की सेना को करारी हार का सामना करना पड़ा था।
टी-55 टैंक पाकिस्तान सैनिकों के लिए दहशत की वजह बन गए थे। सीमा पर इसकी दहाड़ मात्र को सुनकर पाकिस्तानी कांप उठते थे। यह टैंक साल 1968 में सेना में शामिल हुआ और 2011 तक सेवा देता रहा।
यह है खासियत टी-55 टैंक की
यह टैंक 27.6 लंबा और 10.8 फुट चौड़ा होता था। यह टैंक 9 फुट ऊंचा होता था। इसमें रात में देखने के उपकरण लगे थे और परमाणु, जैविक और रसायनिक हमले में यह सुरक्षित रहता था। इस टैंक ने बांग्लादेश युद्ध के दौरान बहुचर्चित बसंतर की लड़ाई में शानदार कारनामा दिखाया था और इसके लेफ्टिनेंट अरुण खेत्रपाल को परम वीर चक्र से नवाजा गया था।
मुंडवा चौराहे पर की पूजा अर्चना T-55 tank की
भारत-पाक युद्ध में पाकिस्तान पर कहर बरपाने वाला यह टैंक टी-55 मंगलवार काे शहर में पहुंचा। इस दौरान मुंडवा चौराहे पर जिला प्रभारी मंत्री राजेंद्र यादव, कलेक्टर जितेंद्र सोनी, कांग्रेस जिलाध्यक्ष जाकिर हुसैन गैसावत, डीडवाना विधायक चेतन डूडी और सभापति मीतू बोथरा सहित कई जनप्रतिनिधि व अधिकारियों ने टैंक की पूजा-अर्चना की।
इसके बाद गाजे-बाजे के साथ टैंक को नकाश गेट पहुंचाया गया। टेंक को देखने के लिए मुंडवा चौराहे पर भारी संख्या में लोगों की भीड़ जुटी।
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